••• वाह रे वन विभाग हरे भरे पेड़ो पर चल रहा आरा
••तो क्या वन विभाग की लापरवाही या भ्र्ष्टाचार
कोविड-19 के दौरान जहां ऑक्सीजन के लिए त्राहि त्राहि मची हुई थी तो वहीं सरकार के द्वारा हरितक्रांति पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा लेकिन यह क्या वन विभाग की लापरवाही का नतीजा हरे भरे पेड़ो पर खुलेआम चल रहा आरा शिकायत के बाद भी नहीं हो रही कार्यवाही कही भ्र्ष्टाचार में लिप्त तो नहीं विभाग जनपद स्तर पर शिकायत के बाद वन विभाग पत्रकारों से जानकारी प्राप्त करते है न कि स्वयं
क्या है मामला
वन विभाग नर्सरी महुवारी अंतर्गत इन दिनों जमकर हरे भरे पेड़ को निशाना बनाया जा रहा है बृहस्पतिवार को देखने को मिला कि आम के हरे भरे दो ट्राली लकड़ी लदी हुई गाड़ियां आरा मशीन पर जा रही हैं,वन रक्षक से शिकायत की गई फिर दूसरे दिन शुक्रवार को भी सुबह सबेरे एक ट्राली दूसरे ठेकेदार द्वारा लकडी काटकर ले जाया जा रहा है,फिर वन रक्षक से शिकायत की गई,लेकिन यह क्या इनको तो जानकारी ही नहीं कि कहा कट रहा पेड़ पत्रकार द्वारा जब इस विषय पर जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गई तो पत्रकार से ही लोकेशन मांगने लगे रेंजर साहब
आए दिन कट रहे पेड़
वन विभाग की मिलीभगत से आए दिन उत्तरेथू ,एनवा, फूलपुर, भड़सारी, इल्तिफ़ातगंज केदारनगर आदि क्षेत्रों में धड़ल्ले से दिनदहाड़े हरे भरे पेड़ो को निशाना बनाया जा रहा है।लेकिन कोई कुछ भी कहने को राजी नहीं है।
कोविड-19 के बाद भी सुधार नहीं
कोविड -19 में ऑक्सीजन की कमी के चलते तमाम लोगों की जिंदगी खत्म हो गई प्रशासन लोगों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था में दिनरात लगा रहा खत्म होते पेड़ पौधे पर्यावरण दूषित हो रहा है,गर्मी अपने चरम पर है फिर भी लोग समझ नहीं रहे कि एक दिन ऐसा आएगा जब अपनी गलती पर पश्चाताप होगा आज चंद कौड़ियों के भाव में हरे भरे पेड़ पौधे धराशायी हो रहे है।
क्या कहा डीएफओ ने
वन माफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए डीएफओ अम्बेडकर नगर से दुरभाष पर वार्ता की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि फ़ोटो डिटेल भेजो कार्यवाही की जाएगी
वहीं वन दरोगाजगदम्बा प्रसाद से बात करने पर उनके द्वारा बताया गया कि हमे जानकारी ही नहीं है, वन रेंजर से वार्ता के पर उनके द्वारा कट रहे पेड़ की लोकेशन पत्रकार से मांगी जा रही हैं, वन विभाग की जासूसी कम्पनी लगता है कि बन्द हो गई हैं, ऐसे में आखिर कहा हरे भरे पेड़ो को बंद करवा पाएँगे जब जानकारी ही प्राप्त नहीं हैं।
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