लेखपाल और कानूनगो के द्वारा किया गया बड़ा कारनामा प्रकाश में आया है
उपजिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया संज्ञान तत्काल तहसीलदार को सौंपा जांच
ओंकार शर्मा
अंबेडकरनगर। जलालपुर तहसील में बैनामा शुदा जमीन के नामांतरण और खतौनी में दर्ज होने के बाद आर्थिक लाभ के लिए दूसरों के नाम वरासत दर्ज करने का बड़ा खेल चल रहा है।
यह पहला प्रकरण नहीं है इसके पहले कई मामले प्रकाश में आए थे जिसमें अधिकारियों ने निलंबन आदि की कार्यवाही की इसके बावजूद यह खेल बगैर रोक टोक जारी है।
ताज़ा मामला जलालपुर तहसील के मरहरा ग्राम पंचायत का है जहां के निवासी अजय कुमार ने मंगलवार को तहसील पहुंच उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर संबंधित कर्मी के विरुद्ध कार्यवाही और वरासत निरस्त कराने की मांग की है।
विदित हो कि मरहरा गांव निवासी भानु प्रताप, विनोद कुमार, बिक्रमा जीत और गया प्रसाद ने अपनी खतौनी गाटा संख्या 228 क का संपूर्ण अंश 2017 में इसी गांव की शोभावती, फूला देवी आदि को दशकों पहले बैनामा कर दिया।उक्त जमीन खरीदारों के नाम से खतौनी में दर्ज भी हो गया किंतु राजस्व विभाग की मिलीभगत से विक्रमाजीत के मृत होते ही उक्त बैनामा शुदा जमीन को उनके पुत्र रविन्द्र सुरेन्द्र समेत अन्य के नाम कर दिया। जब इसकी जानकारी खतौनी धारकों को हुई तो उनके होश उड़ गए।
10 मार्च 2023 को मरहरा गांव में तैनात थे लेखपाल अरुण यादव
लेखपाल अरुण कुमार यादव का विवाद से पुराना नाता रहा है। इसके पहले अशरफपुर भुवा ग्राम पंचायत में तैनाती के दौरान इन्होंने खतौनी के मुकदमा में विचाराधीन होने के बाद आर्थिक लाभ के लिए वरासत कर दिया था। जिसकी शिकायत के बाद इन्हें इस ग्राम पंचायत से हटा दिया गया था।
तहसीलदार को जांच दी गई है। बैनामा होने और खरीदारों का खतौनी में नाम दर्ज होने के बाद हल्का लेखपाल और कानूनगो द्वारा वरासत दर्ज करना अपराध की श्रेणी में आता है।
यह बोले उप जिलाधिकारी जलालपुर
रिपोर्ट मिलने के बाद कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इस तरीके की गैर जिम्मेदाराना हरकत बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी – पवन जायसवाल उपजिलाधिकारी जलालपुर
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