बैंक कर्मियों की मनमानी के चलते मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट धराशाई
अपने उच्चाधिकारियों की बात नहीं सुनते बैंक कर्मचारी
संवाददाता,इल्तिफ़ातगंज अम्बेडकरनगर। स्वरोजगार योजना के लिए प्रयासरत युवाओं के लिए जहां मुख्यमंत्री युवा उधमी विकास अभियान(मुख्यमंत्री युवा)योजना के तहत लाखों युवाओं को बिना गारन्टी के पांच लाख रुपए ऋण देने की योजना लागू की गई हैं राजग सरकार द्वारा मार्जिन छूट भी दी गई हैं तो वहीं इन्हीं के प्राइवेट बैंकों द्वारा युवाओं के सपनों को रौंद दिया जा रहा है, लाख प्रयास के बाद भी इनके द्वारा युवाओं को टरका दिया जा रहा है। ज्ञात हो कि राज्य सरकार के मंत्री राकेश सचान द्वारा बताया गया कि युवाओं के लिए हजार करोड़ का बजट पास किया गया है, पहले से प्रधानमंत्री मुद्रा योजना सहित अन्य कई प्रकार के योजनाए लागू की गई हैं लेकिन जिले के तहसील टांडा अंतर्गत बैंक ऑफ बड़ौदा महुवारी के शाखा प्रबंधक द्वारा युवाओं के सपने कोरौंद दिया जा रहा है, सूत्रों की माने तो बगैर कमीशन कोई कार्य नहीं इनके बैँक में कार्यरत बगैर किसी पद पर रहने वाले कर्मचारियों की मिलीभगत से ही ऋण लेने देने का कार्य होता हैं।बैंक के कर्मचारियों अधिकारियों की मनमानी से आम जनता परेशान है जहां ग्राहकों को देवता तुल्य बताया जाता हैं तो यहां ग्राहकों के साथ ही अभद्रता की जाती हैं।पीड़ित युवा जब रोजगार के लिए ऋण की मांग की तो साफ मना कर दिया गया है जबकि उक्त बैंक से कई अपात्र लोगों को ही ऋण दे दिया गया है।अपनो पर मेहरबानी गैरो पर सितम कुछ भी हो कटेहरी उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को ही यह नाकाम कर रहे जबकि मुख्यमंत्री के उद्घोषणा के बाद तमाम युवा अपने सुनहरे भविष्य के सपने देखने लगे प्रधानमंत्री योजनाए भी इनके लिए कोई मायने नहीं रखते इन बैंकों द्वारा एक ही व्यक्ति को कई कई ऋण बांट देते हैं लेकिन गरीब तबके के परिवारों के लिए इनके पास कोई योजना नहीं जबकि ग़रीब परिवार ऋण चुकता करने में कभी नहीं चूकते शाखा प्रबंधक से पशु पालन पर भी ऋण की मांग करने के बाद भी इंकार कर दिया गया जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर पशुपालन की व्यवस्था रहती है।कुल मिलाकर भ्र्ष्टाचार में डूबे ऐसे लोगों पर इनके उच्चाधिकारियों द्वारा भी कोई कार्यवाही न करना कही न कही सरकार के योजनाओं पर पलीता लगा रहे है, सरकार को चाहिए कि ऐसे बैंकों के प्रति कठोर कार्यवाही करनी चाहिए जो अपनी मनमानी करते हैं।ऐसे बैंकों का विलय होना जरूरी है जो सरकार के लिए उनकी योजनाओं के लिए कार्य करने से भागते हैं।