*जहाँ पिता की आज्ञा पर पुत्र सिंहासन त्याग वन को चल दे वहाँ दशहरा है ।*
*जहाँ भाई भाई के आदर में कुटिया🎪 में रहकर खड़ाऊ से शासन करे वहाँ दशहरा है*।
*जहाँ पत्नी पति के लिए सोलह श्रृंगार त्याग वैराग्य धारण कर वन को चल दे वहाँ दशहरा है*।
*जहाँ मित्रता में मित्र को उसका खोया वैभव दिलाने के लिए मित्र जान जोखिम में डाल दे वहाँ दशहरा है*।
*जहां देवर माँ रुपी भाभी के श्री चरणों के अलावा कईं और का निगाह बान न हो वहाँ दशहरा है*।
*जहाँ मेरे भाई मेरे हिस्से की जमीन भी तू रखले मेरी इच्छा है कि आंगन में न दिवार उठे ये भाव हो वहाँ दशहरा है*।
*दशहरा महज़ विजय नहीं कर्तव्य है, मर्यादा है, त्याग है*।
*दशहरा के दिन हम रावण रुपी पुतले का दहन करते हैं लेकिन अपने अंदर बैठे अंहकार ईर्ष्या द्वेष से ओतप्रोत दंभी रावण का दमन नही करते*
रावण हमारे मन में है,राम अभी तक वन में हैं।
हमारी दुनिया में आज भी रावण जिंदा है, बल्कि
आज तो उनकी तादाद भी बढ़ चुकी है। हर गली मोहल्ला
और हर घर में रावण मौजूद है। इन रावणों के पास अपने जुर्म
से बचने के लिए ढेरों विकल्प भी मौजूद हैं। वैसे तो हमने
दशहरे पर रावण का दहन कर दिया है, परन्तु क्या हम अपने
आस-पास और खुद अपने भीतर बैठे रावण को मार पाए हैं।
यह सवाल त्रेता युग से लेकर आज भी विद्यमान है। इस
सवाल का जवाब हर किसी को ढूंढना है या इन रावणों
को मारने के लिए दोबारा से राम को जन्म लेना पड़ेगा।
त्रेता युग के आततायी रावण को मारने के लिए भगवान
राम ने जन्म लिया था। वहीं द्वापर युग में कृष्ण ने जन्म
लिया, लेकिन आज हर घर में मौजूद रावण से बचाव का
कोई विकल्प मौजूद नहीं हैं। पूरी दुनिया में आज रावण
के कृत्यों से लोग परेशान हैं। भारत में ही कई ऐसे अपराध
सामने आए हैं जिनसे लगता है कि क्या रावण मर चुका है।
दस सिर वाले रावण को भले ही राम ने मार दिया हो,
लेकिन आज हर व्यक्ति रावण ही है।
भले ही उसके दिखाई देने वाले दस सिर न हो लेकिन सभी
के पास दस दिशाओं में दौड़ने वाला दिमाग जरूर मौजूद है
और यह दिमाग अच्छे से ज्यादा बुरी बातों की ओर तेजी
से रूख करता है। त्रेता के रावण के पतन का कारण सीता
माता के प्रति उनका अमानवीय व्यवहार था, लेकिन
आज समाज में नारियों के प्रति गलत सोच रखने वाले कई
रावण मौजूद है जो नारियों के अलावा मासूमों और
निचलें तबको पर जुर्म करने की कोई कसर नहीं छोड़ते।
पिछले दिनों समाज मे आने वाली कई इंसानियत को शर्मसार एवं
बच्चों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार की खबरे
इस बात का गवाह हैं कि अब हमें अपने अंदर बैठे रावण को
खत्म करना होगा। जिसके लिए इन रावणों को लगाम
कसने के लिए दोबारा राम को अवतार लेने की जरूरत
नहीं है। बस हमें ही अपने अंदर से रावण की जगह राम को
उजागर करना होगा। उनकी अच्छाइयों को भले ही
आत्मसात करने में समय लगे पर समाज को स्वच्छ बनाने के
लिए यह जरूरी भी है।
*पावन पर्व दशहरा की शाश्वत शुभकामनाएं*💐🙏💐
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