तो क्या बिटिया को मिलेगा इंसाफ
कार्यवाही के नाम पर वर्षो सरकारी मेहमान बन बैठे आरोपी
अरविंद यादव
संवाददाता संवाददाता अम्बेडकरनगर। बलात्कार शब्द ही ऐसा है जो कि भयानक रूह कंपा देने के लिए काफी है तो सोचे बिटिया के साथ एक नहीं तीन तीन दरिंगों ने रात भर दरिंदगी की उस बिटिया का शरीर ही नहीं आत्मा भी लहूलुहान हो गई होगी,यह दरिन्दों की हैवानियत मासूम बच्ची के जिस्म के साथ साथ उसकी रूह को भी घायल कर दिया आखिर हार कर एक बिटिया अपने माँ बाप भाई बहन को छोड़कर आत्महत्या करने के लिए विवश हो गई, बिटिया ने जब आत्महत्या जैसा कदम उठाया तो उसके मन मस्तिष्क में बस यही चल रहा होगा कि हे कृष्णा द्रौपदी की लाज बचाने आए मेरी क्यों नहीं उस मासूम की क्या गलती थी “क्या बेटी होना गुनाह है”ईश्वर भी अब सोचता होगा कि बेटी बनाकर वह बहुत बड़ा अपराध कर दिया वह बेटी जो एक मां बहन बेटी की भूमिका निभाती है अरे दरिन्दों जो तुम बेटियों को उपभोग की वस्तु समझते हो वही बेटी ने कभी तुम्हें मां बनकर जन्म दिया है।
अम्बेडकरनगर जनपद के राजेसुल्तानपुर में तीन दरिंदो ने रात भर मासूम के साथ गलत किया मजबूर होकर बिटिया ने आत्महत्या कर लिया लेकिन दरिंदो को क्या सजा मिली हल्का फुल्का टार्चर कर जेल भेज दिया गया सरकारी मेहमान बनाकर कुछ दिनों में यही आरोपी बाहर आकर मृतक बेटी के घरवालों के सामने टहलेंगे मजा लेंगे उपहास उड़ाएंगे अरे ऐसे लोगों को तो तत्काल प्रभाव से जांच पड़ताल कर फाँसी पर लटका देना चाहिए।