राजस्व निरीक्षक और क्षेत्रीय लेखपाल के कारण जलालपुर तहसील अंतर्गत जमीनी विवाद का मामला दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है
क्या कारण है कि उच्च अधिकारी लोग राजस्व निरीक्षक और क्षेत्रीय लेखपालों पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं लेखपालों के द्वारा आईजीआरएस पर गलत रिपोर्ट लगाना , सरकारी जमीन पर कब्जा करवा देना गलत पैमाइश कर देना, उच्च अधिकारियों को गुमराह करना, यह आम बात हो गया है
संवाददाता ओंकार शर्मा
अंबेडकरनगर जलालपुर। अपने ही पुराने घर को गिराकर अथवा नींव भरी खतौनी की जमीन तथा आबादी की जमीन पर निर्माण करना किसी चुनौती से कम नहीं है। तहसील प्रशासन कानून का उदाहरण देकर अपनी जिम्मेदारियों से कन्नी काट रहा है। आगे चलकर यही मामले मारपीट हत्या जैसे जघन्य का कारण बन रहा है। सरकारी जमीनों से माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अवैध कब्जा हटाने में पूरी तरह विफल है। कार्य नहीं होने से पीड़ित न्याय के लिए प्रदेश मुख्यालय से लेकर जनपद मुख्यालय और तहसील थाना का चक्कर लगा रहा है। जलालपुर तहसील के कई गांवों में कुछ ऐसे ही मामले हैं जिसमें पीड़ित चकरघिन्नी की तरह नाच रहा है।
केस नंबर एक
जैतपुर थाना के भियांव ब्लॉक के बेरमा गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक हरिनाथ ने मुख्य मार्ग स्थित गाटा संख्या 177 में अपनी पत्नी के नाम दशकों पहले बैनामा लिया और तभी से नींव भर कर काबिज है।इस जमीन के दोनो तरफ पूर्व से घर बने हुए है। शिक्षक की जमीन दो घरों के बीच सुरक्षित है। बीते सप्ताह शिक्षक ने जब पुरानी नींव के स्थान पर पिलर का निर्माण शुरू किया। जिनका खतौनी में दूर दूर तक कोई नाम नहीं है वे महिलाएं भद्दी भद्दी गाली गलौज देकर कार्य नहीं होने दे रही है। सोमवार को सेवानिवृत शिक्षक तहसील पहुंच तहसीलदार को शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। शिकायती पत्र देख कर तहसीलदार पदमेश श्रीवास्तव ने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात कह सिविल न्यायालय में मुकदमा दायर की सलाह देते रहे। बुजुर्ग शिक्षक के निवेदन के बाद राजस्व और पुलिस से आख्या मांगी।
केस नंबर दो
मालीपुर थाना के ग्राम पंचायत धौरुवा के पेदिया गांव निवासी विजय बहादुर यादव ने चकमार्ग खलिहान आदि पर किए गए अवैध कब्जा हटाने के लिए बीते तीन वर्षों से मुख्यमंत्री पोर्टल संपूर्ण समाधान दिवस समेत अन्य प्लेटफार्म पर शिकायत दर्ज करा चुके है किंतु राजस्व विभाग विपक्षी के प्रभाव धन बल के आगे नतमस्तक होकर अवैध कब्जा नहीं हटाया।जिससे व्यथित विजय बहादुर ने माननीय उच्च न्यायालय में वाद दायर कर सरकारी जमीन से अवैध अतिक्रमण हटाने की अपील किया था। माननीय न्यायालय ने सरकारी जमीन से अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी कर दिया। पीड़ित आदेश की कापी लेकर तब से तहसील अधिकारियों का चक्कर लगा रहा है। जनसुनवाई पोर्टल आदि पर बार बार की जा रही शिकायत पर अवैध अतिक्रमण हटाने के बजाय लेखपाल ने बेदखली का मुकदमा दायर कर माननीय उच्च न्यायालय समेत अन्य उच्चाधिकारियों के आदेश निर्देश को ठेंगा दिखा दिया।
केस नंबर तीन
जलालपुर कोतवाली के गोलपुर गांव निवासी इम्तियाज खान अपनी पुरानी नींव पर सरकार द्वारा प्रदत प्रधानमंत्री आवास का निर्माण करना चाहते है किंतु विपक्षी निर्माण नहीं होने दें रहा है। इम्तियाज के पास रहने के लिए अन्य कोई मकान नहीं है। सोमवार को पीड़ित इम्तियाज तहसीलदार पदमेश श्रीवास्तव को अपना दुखड़ा सुना निर्माण में मदद की गुहार लगाई किंतु तहसीलदार ने मिलजुमला नंबर और आबादी का हवाला देकर किसी प्रकार की मदद से इंकार कर दिया। पीड़ित की पुरानी दिवाल मौजूद है।परिवार के कई सदस्य भी इसी घर में रहते है।
आबादी के मामले के साथ ही खतौनी के प्रकरण में तहसील अधिकारियों का कोई अधिकार नहीं है।ऐसे मामलों के निस्तारण का हक केवल सिविल न्यायालय को है।कोई किसी के खतौनी अथवा आबादी पर अवैध कब्जा कर ले अथवा निर्माण नहीं होने दे हमे कोई सरोकार नहीं है। पद्मेश श्रीवास्तव तहसीलदार जलालपुर
यह बोले तहसीलदार जलालपुर
तहसीलदार जलालपुर ने बताया कि राजस्व निरीक्षक, क्षेत्रीय लेखपाल और थाना अध्यक्ष को जांच कर कार्यवाही करने का और मामले के तत्काल निस्तारण करने का आदेश दिया , बहुत जल्द चिन्हित कर लापरवाही बरतने वाले निरीक्षक और लेखपाल पर भी कार्यवाही की जाएगी
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