भाषा के बिना संभव नहीं है परिवर्तनमूलक शिक्षा की संकल्पना: डॉ प्रदीप जायसवाल
शहजादपुर, के डॉ०प्रदीप जायसवाल को मिला”लोक शिल्पी सम्मान-2023
संवाददाता अंबेडकरनगर।शैक्षिक संवाद मंच, उत्तर प्रदेश द्वारा अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान, चित्रकूट में तीन दिवसीय शैक्षिक विचार संगोष्ठी एवं शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन दिनांक 16-18 फरवरी, 2024 तक किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के शिक्षकों सहित छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली के शिक्षाविदों ने प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम में राज्य हिन्दी संस्थान, उत्तर प्रदेश, वाराणसी के शोध प्रवक्ता डॉ० प्रदीप जायसवाल को हिंदी भाषा एवं साहित्य संवर्धन हेतु विशेष योगदान के लिए “लोक शिल्पी सम्मान-2023” प्रदान किया गया। यह सम्मान शैक्षिक संवाद मंच, उत्तर प्रदेश (स्थापित वर्ष 2012) द्वारा प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि डॉ० जायसवाल विगत कई वर्षों से हिंदी भाषा, शिक्षण, साहित्य तथा सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों और कार्यक्रमों में सतत रूप से सक्रिय हैं। अद्यतन इन्होंने राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर अनेक शैक्षिक मॉड्यूल, शिक्षक संदर्शिका, कार्यपुस्तिका, प्रशिक्षण सामग्री, डिजिटल सामग्री, पत्र-पत्रिकाओं का संपादन एवम् लेखन कार्य किया है। इस कार्यक्रम में शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश के संस्थापक प्रमोद दीक्षित ‘मलय’ द्वारा संपादित पुस्तकों ‘शिक्षा के पथ पर, विद्यालय में एक दिन, कोरोना काल में कविता, यात्री हुए हम, क्रांति पथ के राही का विमोचन किया गया। साथ ही कार्यक्रम में सत्रवार विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमें डॉ प्रदीप जायसवाल जी ने “बच्चों के व्यक्तित्व विकास में भाषाई सरोकार” विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि परिवर्तनमूलक शिक्षा की संकल्पना भाषा के बिना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां भाषा मां की भांति बच्चों के व्यक्तित्व को रचती गढ़ती और उसको आकार देती है। वहीं पुस्तकें बच्चों का भरपूर मानसिक पौष्टिक पोषण भी करती हैं। डॉ० जायसवाल ने हिंदी की अनेक स्थानीय शब्दों की चर्चा की, जो आज प्रयोग में न होने की कारण लुप्त होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस पर गंभीरता से चिंतन कर कार्य करने की आवश्यकता है। साथ ही स्थानीय शब्दों को यदि संरक्षित नही किया गया, तो जो शब्द संपदा हिंदी को समृद्ध करती हैं, वहीं हिंदी को शब्दों की गरीबी की ओर न लेकर चली जाए।
इस तीन दिवसीय शैक्षिक गोष्ठी में पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय जी, बांदा, बाबूलाल लाल दीक्षित जी, बांदा, डॉ० मनोज वार्ष्णेय जी, आगरा, राजेंद्र सिंह जी, कौशांबी, गोपाल भाई जी चित्रकूट, आईटीबीटी में डिप्टी कमांडेंट एवं भाषा विज्ञानी कमलेश कमल जी, दिल्ली, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023 प्राप्त आशिया फारूकी जी फतेहपुर, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2018 प्राप्त ईश्वरी सिन्हा जी छत्तीसगढ़ आदि ने सामुदायिक सहभागिता, अभाव संसाधनों का या सोच का, विद्यालय विकास: मेरे अनुभव, प्रचलित हिंदी बनाम शुद्ध हिंदी जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में दीवार पत्रिका, काव्य पाठ, पुस्तक मेला का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के संयोजक एवम शैक्षिक संवाद मंच के संस्थापक शिक्षाविद् श्री प्रमोद दीक्षित ‘ मलय’ ने सभी प्रतिभागियों एवम् अतिथियों का आभार व्यक्त किया।